Thursday, December 22, 2011

यादों के चलचित्र सुहाने!

कभी यूँ ही एकाकी मन में
बीच कभी किसी जन संगम में
कभी निराशा की लड़ियों में
या सुख से हंसती अँखियों में
आ जाते हैं ये मनमाने...
यादों के चलचित्र सुहाने!!!

कुछ आते हैं दूर देश से
कुछ के हैं चेहरे अनजाने
कुछ मृगतृष्णा से हाथ न आते
कुछ घने जलद से, हैं रुक जाते
स्मृतियों का सावन बरसाने...
यादों के चलचित्र सुहाने!!!

कहीं खेलता भोला बचपन
मदमाता कहीं दम्भी यौवन
भय से कुछ कम्पित कर जाते
कुछ हैं जो हरदम हरसाते
कुछ भूले बिसरे से अफसाने...
यादों के चलचित्र सुहाने!!!

कुछ के मतलब रोज़ बदलते
कुछ नित नूतन हो मिलते
कुछ में जीवन दर्शन होता
कुछ का रीतापन है खलता
कुछ में दिखते सब दीवाने...
यादों के चलचित्र सुहाने!!!

कुछ आते हैं आमंत्रण पर
कुछ गिरते हैं विद्युत् बन कर
भरने को रिक्त हृदय के गागर
लहराने नयनो में सागर
बीते लम्हों के नजराने...
यादों के चलचित्र सुहाने!!!

9 comments:

  1. बहुत प्यारी कविता है... बिलकुल तुम्हारी तरह:)

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  2. कुछ के मतलब रोज़ बदलते
    कुछ नित नूतन हो मिलते
    कुछ में जीवन दर्शन होता
    कुछ का रीतापन है खलता
    कुछ में दिखते सब दीवाने...
    यादों के चलचित्र सुहाने!!!
    badhiyaa

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  3. कुछ आते हैं आमंत्रण पर
    कुछ गिरते हैं विद्युत् बन कर
    भरने को रिक्त हृदय के गागर
    लहराने नयनो में सागर
    बीते लम्हों के नजराने...
    यादों के चलचित्र सुहाने!!!

    बेहद अच्छी पंक्तियाँ हैं। और आपकी लेखनी भी गजब की है।

    सादर

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  4. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  5. वाह ...बहुत ही बढि़या।

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  6. कल 25/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. कभी निराशा की लड़ियों में
    या सुख से हंसती अँखियों में
    आ जाते हैं ये मनमाने...
    यादों के चलचित्र सुहाने!!!

    सुन्दर गीत....
    सादर बधाई...

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  8. बहुत सुंदर भावमयी रचना...

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  9. कुछ मृगतृष्णा से हाथ न आते
    कुछ घने जलद से, हैं रुक जाते
    स्मृतियों का सावन बरसाने...
    यादों के चलचित्र सुहाने!!!

    याद न जाए बीते दिनों की....
    सुंदर भावमयी रचना...

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