कुछ सपनों का टूटना भी ज़रूरी है,
कुछ ख्वाइशों का अधुरा रहना भी ज़रूरी है,
जो एक पल में मंज़िल तय हो.. तो जश्न कैसा?
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
वो जो विशाल शिला मार्ग अवरुद्ध किये बैठी है,
वो मील का पत्थर भी बन सकती है,
उस राह जाने में डर कैसा?
कभी कभी ठोकर खाना भी ज़रूरी है
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
सपनों के भी रूप बदल जाते हैं
रिश्तों के नए मायने समझ आते हैं
अविरल गति से चलता है कालचक्र लाता है परिवर्तन,
परन्तु सतत परिवर्तन के मूल में छुपे,
शाश्वत सत्य को समझना ज़रूरी है..
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
इस सफ़र में नित नूतन सम्बन्ध बनते हैं,
कुछ अपनत्व, कुछ धर्म तो कुछ समर्पण के कगार पर बंधते हैं,
कुछ में बे-शर्त समर्थन का बल है,
तो कुछ में पतित द्वेष का मल है..
किन्तु धर्मपथ पर, सब को साथ लेकर बढ़ना ज़रूरी है
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
मंज़िलें किसी गंतव्य का ठिकाना नहीं..
वो कोई मुकाम नहीं.., मंज़िलें तो ध्येय मात्र हैं..
ध्येय स्व उत्थान का, ध्येय निज पहचान का,
ध्येय सतत चलने का, बाधाओं से अविरल संग्राम का
जो सिद्ध ध्येय चिर शय्या तक पहुंचे, तो उस मृत्यु में जीवन की सार्थकता पूरी है..
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
कुछ ख्वाइशों का अधुरा रहना भी ज़रूरी है,
जो एक पल में मंज़िल तय हो.. तो जश्न कैसा?
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
वो जो विशाल शिला मार्ग अवरुद्ध किये बैठी है,
वो मील का पत्थर भी बन सकती है,
उस राह जाने में डर कैसा?
कभी कभी ठोकर खाना भी ज़रूरी है
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
सपनों के भी रूप बदल जाते हैं
रिश्तों के नए मायने समझ आते हैं
अविरल गति से चलता है कालचक्र लाता है परिवर्तन,
परन्तु सतत परिवर्तन के मूल में छुपे,
शाश्वत सत्य को समझना ज़रूरी है..
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
इस सफ़र में नित नूतन सम्बन्ध बनते हैं,
कुछ अपनत्व, कुछ धर्म तो कुछ समर्पण के कगार पर बंधते हैं,
कुछ में बे-शर्त समर्थन का बल है,
तो कुछ में पतित द्वेष का मल है..
किन्तु धर्मपथ पर, सब को साथ लेकर बढ़ना ज़रूरी है
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
मंज़िलें किसी गंतव्य का ठिकाना नहीं..
वो कोई मुकाम नहीं.., मंज़िलें तो ध्येय मात्र हैं..
ध्येय स्व उत्थान का, ध्येय निज पहचान का,
ध्येय सतत चलने का, बाधाओं से अविरल संग्राम का
जो सिद्ध ध्येय चिर शय्या तक पहुंचे, तो उस मृत्यु में जीवन की सार्थकता पूरी है..
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
शुरू से अंत तक बांधे रखती है कविता .....कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है....और सपनों का टूटना भी ज़रूरी है .....बिना चले बिना थके एहसास ही नहीं होता कि हमने कुछ किया भी है....और सपनों के टूटने पर ही सपनों की अहमियत का भी एहसास होता है।
ReplyDeleteसादर
मंज़िलें किसी गंतव्य का ठिकाना नहीं..
ReplyDeleteवो कोई मुकाम नहीं.., मंज़िलें तो ध्येय मात्र हैं..
ध्येय स्व उत्थान का, ध्येय निज पहचान का,
ध्येय सतत चलने का, बाधाओं से अविरल संग्राम का
जो सिद्ध ध्येय चिर शय्या तक पहुंचे, तो उस मृत्यु में जीवन की सार्थकता पूरी है..
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है... shaandaar abhivyakti
Behtareen........
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
वो जो विशाल शिला मार्ग अवरुद्ध किये बैठी है,
ReplyDeleteवो मील का पत्थर भी बन सकती है,
उस राह जाने में डर कैसा?
कभी कभी ठोकर खाना भी ज़रूरी है
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
sundar...
अच्छी कविता
ReplyDeletebehtareen prastuti...
ReplyDeleteअच्छी कविता है ..नव वर्ष की शुभकामनायें ..ब्लॉग follow कर रही हूँ ...
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.com
behtarin abhivykti....
ReplyDeletehappy new year
अच्छी रचना...
ReplyDeletehaalaton ka gambheer chintan kar anubhav ki raah se guzarti ek gehan abhivyakti.
ReplyDeleteसपनों के भी रूप बदल जाते हैं
ReplyDeleteरिश्तों के नए मायने समझ आते हैं
अविरल गति से चलता है कालचक्र लाता है परिवर्तन
achhi kavita....
mere blog ke padhne ke liye aaur join karne ke liye is link pe click karain...
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बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteनववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
ध्येय सतत चलने का, बाधाओं से अविरल संग्राम का
ReplyDeleteजो सिद्ध ध्येय चिर शय्या तक पहुंचे, तो उस मृत्यु में जीवन की सार्थकता पूरी है..
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..very nice.
इस सफ़र में नित नूतन सम्बन्ध बनते हैं,
ReplyDeleteकुछ अपनत्व, कुछ धर्म तो कुछ समर्पण के कगार पर बंधते हैं,
कुछ में बे-शर्त समर्थन का बल है,
तो कुछ में पतित द्वेष का मल है..
किन्तु धर्मपथ पर, सब को साथ लेकर बढ़ना ज़रूरी है
कुछ दूर चलना भी ज़रूरी है..
जीवन सफ़र यूँ ही चलता रहे बस....
श्वेता...
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और अफ़सोस के साथ ख़ुशी भी हुई...अफ़सोस इसलिए कि देर से आई और ख़ुशी इसलिए कि आ तो गयी....!!
बहरहाल...तारीफ करूँगी आपके लेखन की,भाव के साथ अर्थपूर्ण लिखना सबके बस की बात नहीं होती....हर रचना कुछ कहती है पाठक से...!! कई रचनाएं पढ़ीं एक साथ ही...!
सब सुन्दर,भावपूर्ण और meaningful हैं....!! बढ़ायी आपको इतना सुन्दर लिखने के लिए...!!