समय को कौन पकड़े,
मुट्ठी भर रेत है,
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है..
मन की कई चेतनाएं..
उन चेतनाओं के कई भाव हैं,
फिर भी जीवन में आज,
अनचाहा ठहराव है..
हर भाव का रंग अलग,
उसकी पृष्ठभूमि में भेद है,
पर जो सारे रंग समेटे,
वो सादा रंग श्वेत है..!
उस श्वेत रंग को अपनाना है..
अभी बड़ी दूर जाना है..
न कर सकते शिकायत.. न चलता बहाना है,
पाला जब आँखों में सपना सुहाना है..!
आज भी हर रास्ता जुदा है..,
दिशाओं की खोज है,
उद्गार कई हैं मानस में,
पर गुम होता ओज है..
यह कोई नयी अनुभूति नहीं,
वर्षों का शोध है..
ग्लानि सिर्फ इसलिए,
कि इसका मुझे बोध है..!
नव वर्ष की बेला में,
जीवन क्यों निस्तेज है?
रंग भरता सबके जीवन में,
जब एक ही रंगरेज़ है..!
आज मेरे मन के आँगन में..
फिर ललकार रही मेरी आशा है..
राही गर सच्चा हो,
तो न रास्ता.. न दिशा ही बाधा है..!
उठो चलो.. गर श्वेत रंग पाना है..!
उठो चलो.. गर सितारों से आगे जाना है..!
उठो चलो.. यात्रा अभी शेष है..!
उठो चलो.. क्योंकि काल की गति तेज है..!
समय को कौन पकड़े,
मुट्ठी भर रेत है..
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है…!!!
सभी मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं!!!
मुट्ठी भर रेत है,
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है..
मन की कई चेतनाएं..
उन चेतनाओं के कई भाव हैं,
फिर भी जीवन में आज,
अनचाहा ठहराव है..
हर भाव का रंग अलग,
उसकी पृष्ठभूमि में भेद है,
पर जो सारे रंग समेटे,
वो सादा रंग श्वेत है..!
उस श्वेत रंग को अपनाना है..
अभी बड़ी दूर जाना है..
न कर सकते शिकायत.. न चलता बहाना है,
पाला जब आँखों में सपना सुहाना है..!
आज भी हर रास्ता जुदा है..,
दिशाओं की खोज है,
उद्गार कई हैं मानस में,
पर गुम होता ओज है..
यह कोई नयी अनुभूति नहीं,
वर्षों का शोध है..
ग्लानि सिर्फ इसलिए,
कि इसका मुझे बोध है..!
नव वर्ष की बेला में,
जीवन क्यों निस्तेज है?
रंग भरता सबके जीवन में,
जब एक ही रंगरेज़ है..!
आज मेरे मन के आँगन में..
फिर ललकार रही मेरी आशा है..
राही गर सच्चा हो,
तो न रास्ता.. न दिशा ही बाधा है..!
उठो चलो.. गर श्वेत रंग पाना है..!
उठो चलो.. गर सितारों से आगे जाना है..!
उठो चलो.. यात्रा अभी शेष है..!
उठो चलो.. क्योंकि काल की गति तेज है..!
समय को कौन पकड़े,
मुट्ठी भर रेत है..
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है…!!!
सभी मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं!!!
:)
ReplyDeleteलिखती रहो!!!
समय को कौन पकड़े,
ReplyDeleteमुट्ठी भर रेत है..
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है…!!!
नया वर्ष प्रभु के आशीर्वचनों से परिपूर्ण हो ...
समय को कौन पकड़े,
ReplyDeleteमुट्ठी भर रेत है..
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है…!!!
सच मे आपको पढ़ने की बात ही अलग है।
आपको नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
सादर
आपको नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDelete---------------------------------------------------------------
कल 02/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
समय को कौन पकड़े,
ReplyDeleteमुट्ठी भर रेत है..
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है…!!!
Bahut sundar....aapko bhi nav varsh ki subhkamnayein...
वाह! bahut sundar बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
ReplyDeleteकाल की गति तेज है...सच....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !!
नववर्ष की शुभकामनायें!
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...नववर्ष की मंगलकामनाएँ
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.com/2012/01/blog-post_02.html
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है... आपको नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना..
ReplyDeleteनववर्ष शुभ हो...
यह कोई नयी अनुभूति नहीं,
ReplyDeleteवर्षों का शोध है..
ग्लानि सिर्फ इसलिए,
कि इसका मुझे बोध है..!
समय को कौन पकड़े,
मुट्ठी भर रेत है..
एक और वर्ष बीत गया,
न जाने कितना शेष है…!!!
abhi bhi bahut kuchh shesh hai....